मैं सोच रहा था की गाँधी जी इस देश के बारे में क्या सोच रहे होंगे | मौजूदा परस्थितियों के बारे में अपने जीवन में तो उन्होंने कभी सोचा नहीं होगा | कितना बड़ा दुर्भाग्य हैं इस देश का जिन रास्तों पर चल कर गाँधी जी ने हमें आजादी दिलाई उन्ही का मखोल उड़ाया जा रहा हैं | उस पर भी हरेक को अपने नाम के साथ गाँधीवादी लगा होना चाहिए | मेरी किसी से कोई निजी हित या अलगाव नहीं हैं पर गाँधी पर मेरा भी उतना ही हक़ हैं जितना इन लोगों का | इसलिए मैं भी एक आम भारतीय नागरिक की तरह ये चाहूँगा की गांधीवाद पर राजनीती बंद हों |
एक अरब पति बाबा भ्रस्टाचार के मुद्दे पर सत्याग्रह करता हैं और परमिशन लेता हैं योग्शिविर चलाने की | फिर एक गाँधीवादी सरकार भीड़ पर लाठी चलवाती हैं और आंसू गैस के गोलों से भीड़ को तितर बितर किया जाता हैं | परधानमंत्री का बयान आता हैं ये दुर्भाग्यपूर्ण हैं पर जरुरी हैं |
फिर एक राजनितिक पार्टी बाबा के समर्थन में धरना देती हैं | वो इस घटना की तुलना जलियावाले बाग़ से करती हैं | और ये सत्याग्रह किसी बारात की तरह धूम - धाम से नाच गा कर किया जाता हैं |
चोथी घटना में उसी बाबा के समर्थन में सैकड़ों नागरिक भूख हड़ताल करते हैं | इस एकदिवसीय उपवास की में भी ख़ास बात थी | अनेक लोग भरपेट ब्रेअक्फ़स्त करके गए थे और घर लौटकर उन्होंने डटकर डिनर किया | कुछ लोग सिर्फ टीवी कैमरे पर अपनी शकल दिखा कर भाग आए की हम भी अनशन में शामिल थे | इन चारो ही तमाशो में दो बातें कोमन हैं | पहली इन सभी के सूत्रधार अपने आप को गाँधीवादी कहते हैं | दूसरी ये लड़ाईयां आम जन के हित में लड़ी जा रहीं थी| लेकिन इनके गांधीवाद का जिक्र मैं ऊपर कर चूका हूँ और आम जन सिर्फ एक मूकदर्शक से ज्यादा कुछ नहीं था |
आज देश की प्रॉब्लम यह हैं की हर नेता गाँधी बनना चाहता हैं | यहाँ तक की वे लोग भी जो कभी बापू के नाम की परछाई से ही दूर भागते थे | अच्छी बात हैं लेकिन अच्छा होता की ये लोग गाँधी जी की जीवनशैली से कुछ सीख लेते |
बापू के पास करोडो अरबों की दौलत नहीं थी | बापू ने कोई कंपनी नहीं खोली | करों और प्राइवेट जेट में नहीं घूमें | जनता को कभी भड़काया नहीं | पुलिस कभी गिरफ्तार करने आयी तो समर्थकों को उनके हाल पर छोड़कर भागा नहीं | अपनी वाणी में कटुता नहीं आने दी | जिन अंग्रेजों से बरसों तक लड़ा, उनके लिए झूठे, बेईमान धोखेबाज षड्यंत्रकारी जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया |
हम तो गाँधी जी से यहीं प्रार्थना करेंगे इस देश को अपने भक्तों से बचाओ |
एक अरब पति बाबा भ्रस्टाचार के मुद्दे पर सत्याग्रह करता हैं और परमिशन लेता हैं योग्शिविर चलाने की | फिर एक गाँधीवादी सरकार भीड़ पर लाठी चलवाती हैं और आंसू गैस के गोलों से भीड़ को तितर बितर किया जाता हैं | परधानमंत्री का बयान आता हैं ये दुर्भाग्यपूर्ण हैं पर जरुरी हैं |
फिर एक राजनितिक पार्टी बाबा के समर्थन में धरना देती हैं | वो इस घटना की तुलना जलियावाले बाग़ से करती हैं | और ये सत्याग्रह किसी बारात की तरह धूम - धाम से नाच गा कर किया जाता हैं |
चोथी घटना में उसी बाबा के समर्थन में सैकड़ों नागरिक भूख हड़ताल करते हैं | इस एकदिवसीय उपवास की में भी ख़ास बात थी | अनेक लोग भरपेट ब्रेअक्फ़स्त करके गए थे और घर लौटकर उन्होंने डटकर डिनर किया | कुछ लोग सिर्फ टीवी कैमरे पर अपनी शकल दिखा कर भाग आए की हम भी अनशन में शामिल थे | इन चारो ही तमाशो में दो बातें कोमन हैं | पहली इन सभी के सूत्रधार अपने आप को गाँधीवादी कहते हैं | दूसरी ये लड़ाईयां आम जन के हित में लड़ी जा रहीं थी| लेकिन इनके गांधीवाद का जिक्र मैं ऊपर कर चूका हूँ और आम जन सिर्फ एक मूकदर्शक से ज्यादा कुछ नहीं था |
आज देश की प्रॉब्लम यह हैं की हर नेता गाँधी बनना चाहता हैं | यहाँ तक की वे लोग भी जो कभी बापू के नाम की परछाई से ही दूर भागते थे | अच्छी बात हैं लेकिन अच्छा होता की ये लोग गाँधी जी की जीवनशैली से कुछ सीख लेते |
बापू के पास करोडो अरबों की दौलत नहीं थी | बापू ने कोई कंपनी नहीं खोली | करों और प्राइवेट जेट में नहीं घूमें | जनता को कभी भड़काया नहीं | पुलिस कभी गिरफ्तार करने आयी तो समर्थकों को उनके हाल पर छोड़कर भागा नहीं | अपनी वाणी में कटुता नहीं आने दी | जिन अंग्रेजों से बरसों तक लड़ा, उनके लिए झूठे, बेईमान धोखेबाज षड्यंत्रकारी जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया |
हम तो गाँधी जी से यहीं प्रार्थना करेंगे इस देश को अपने भक्तों से बचाओ |